Rig Veda - Book 02 - Hymn 6
Text: Rig Veda Book 2 Hymn 6 इमां मे अग्ने समिधमिमामुपसदं वनेः | इमा उ षु शरुधी गिरः || अया ते अग्ने विधेमोर्जो नपादश्वमिष्टे | एना सूक्तेन सुजात || तं तवा गीर्भिर्गिर्वणसं दरविणस्युं दरविणोदः | सपर्येम सपर्यवः || स बोधि सूरिर्मघवा वसुपते वसुदावन | युयोध्यस्मद दवेषांसि || स नो वर्ष्तिं दिवस परि स नो वाजमनर्वाणम | स नः सहस्रिणीरिषः || ईळानायावस्यवे यविष्ठ दूत नो गिरा | यजिष्ठ होतरा गहि || अन्तर्ह्यग्न ईयसे विद्वान जन्मोभया कवे | दूतो जन्येवमित्र्यः || स विद्वाना च पिप्रयो यक्षि चिकित्व आनुषक | आ चास्मिन सत्सि बर्हिषि ||...