Rig Veda - Book 08 - Hymn 8
Text: Rig Veda Book 8 Hymn 8 आ नो विश्वाभिरूतिभिरश्विना गछतं युवम | दस्रा हिरण्यवर्तनी पिबतं सोम्यं मधु || आ नूनं यातमश्विना रथेन सूर्यत्वचा | भुजी हिरण्यपेशसा कवी गम्भीरचेतसा || आ यातं नहुषस पर्यान्तरिक्षात सुव्र्क्तिभिः | पिबाथोश्विना मधु कण्वानां सवने सुतम || आ नो यातं दिवस पर्यान्तरिक्षादधप्रिया | पुत्रः कण्वस्य वामिह सुषाव सोम्यं मधु || आ नो यातमुपश्रुत्यश्विना सोमपीतये | सवाहा सतोमस्य वर्धना पर कवी धीतिभिर्नरा || यच्चिद धि वां पुर रषयो जुहूरे....