Rig Veda - Book 08 - Hymn 71
Text: Rig Veda Book 8 Hymn 71 तवं नो अग्ने महोभिः पाहि विश्वस्या अरातेः | उत दविषो मर्त्यस्य || नहि मन्युः पौरुषेय ईशे हि वः परियजात | तवम इद असि कषपावान || स नो विश्वेभिर देवेभिर ऊर्जो नपाद भद्रशोचे | रयिं देहि विश्ववारम || न तम अग्ने अरातयो मर्तं युवन्त रायः | यं तरायसे दाश्वांसम || यं तवं विप्र मेधसाताव अग्ने हिनोषि धनाय | स तवोती गोषु गन्ता || तवं रयिम पुरुवीरम अग्ने दाशुषे मर्ताय | पर णो नय वस्यो अछ || उरुष्या णो मा परा दा अघायते जातवेदः | दुराध्ये मर्ताय || अग्ने माकिष टे देवस्य रातिम अदेवो युयोत | तवम ईशिषे वसूनाम || स नो वस्व उप मास्य ऊर्जो नपान माहिनस्य | सखे वसो जरित्र्भ्यः || अछा नः शीरशोचिषं गिरो यन्तु दर्शतम | अछा यज्ञासो नमसा पुरूवसुम पुरुप्रशस्तम ऊतये || अग्निं सूनुं सहसो जातवेदसं दानाय वार्याणाम | दविता यो भूद अम्र्तो मर्त्येष्व आ होता मन्द्रतमो विशि || अग्निं वो देवयज्ययाग्निम परयत्य अध्वरे | अग्निं धीषु परथमम अग्निम अर्वत्य अग्निं कषैत्राय साधसे || अग्निर इषां सख्ये ददातु न ईशे यो वार्याणाम | अग्निं तोके तनये शश्वद ईमहे वसुं सन्तं तनूपाम || अग्निम ईळिष्वावसे गाथाभिः शीरशोचिषम | अग्निं राये पुरुमीळ्ह शरुतं नरो ऽगनिं सुदीतये छर्दिः || अग्निं दवेषो योतवै नो गर्णीमस्य अग्निं शं योश च दातवे | विश्वासु विक्ष्व अवितेव हव्यो भुवद वस्तुर रषूणाम ||...